पर्यावरण प्रदूषण निबंध
विषय:-
- भूमिका
- पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ
- प्रदूषण के प्रकार
- वायु प्रदूषण
- जल प्रदूषण
- ध्वनि प्रदूषण इत्यादि |
- प्रदूषण के दुष्प्रभाव
- पर्यावरण प्रदूषण से बचाव
- उपसंहार
पर्यावरण से संबंधित समस्या सार्वभौमिक समस्या बन गई है। इस कारण बचपन से ही विद्यार्थियों में पर्यावरण से संबंधित रुचि जागृत करने के लिए समय - समय पर निबंध प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं । यह पर्यावरण प्रदूषण निबंध लगभग 2000 शब्दों में है जोकि सरल शब्दों में लिखा गया है
पर्यावरण प्रदूषण निबंध
भूमिका :-
विज्ञान मनुष्य को विकास के साथ-साथ विनाश की ओर ले भी लेकर गया है। उसी विनाश के रूप में एक गंभीर समस्या उभर कर सामने आई। वह है पर्यावरण प्रदूषण । जिसे सहने के लिए सभी मजबूर हैं |
पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ :-
पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है ‘ परि + आवरण ‘| परि का अर्थ है चारों ओर , आवरण का अर्थ है ‘ढका हुआ’ अर्थात पर्यावरण का अर्थ हुआ, ‘ चारों ओर का वातावरण’ और प्रदूषण का अर्थ है, ‘प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना | पर्यावरण में अवांछित पदार्थो का मिलना, न शुद्ध खाने को मिलना , न ही शुद्ध जल का मिलना, न ही शुद्ध हवा और न ही शांत वातावरण का मिलना ही पर्यावरण प्रदूषण है |
प्रदूषण के प्रकार :-
प्रदूषण के निम्नलिखित प्रकार हैं जैसे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण , इत्यादि |
वायु प्रदूषण :-
वायु में अवांछित पदार्थों का मिलना ही वायु प्रदूषण कहलाता है | प्रदूषण के कारण वायु सांस् लेने योग्य नही रहती | कारखानों का विषैला धुआं , मोटर वाहनों का जहरीला धुआं इस तरह से फ़ैल गया है कि सांस् लेना भी मुश्किल हो गया है | बड़े शहरों में आप सफ़ेद कपडे पहन कर घर से निकलेंगे तो काली परत उन पर चढ़ी होगी | ये जहरीले कण सांस् के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं जिसके कारण उनको सांस् सम्बन्धी बहुत से भयानक रोग लग जाते हैं |
जल प्रदूषण :-
पानी का दूषित होना या पानी का पीने योग्य न रहना ही जल प्रदूषण है | जल प्रदूषण बहुत से कारणों से फैलता है जैसे , कारखानों का दूषित (गन्दा ) पानी नदियों में डालना , कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में डालना, भूस्खलन या बाढ़ के समय सारी गन्दगी पानी में मिल जाना | दूषित पानी पीने से हैजा , टायफाइड और मलेरिया जैसी खतरनाक बिमारियां फ़ैल जाती हैं जो की व्यक्ति के लिए हानिकारक होती हैं |
ध्वनि प्रदूषण :-
कानों के लिए अप्रिय ध्वनि या शोर ही ‘ध्वनि प्रदूषण’ कहलाता है | मनुष्य शांत वातावरण में रहना पसंद करता है परन्तु आजकल वाहनों का शोर ,मोटर गाड़ियों की चिल - पों, लाउड स्पीकर की कानों को फाड़ने वाली आवाज ने व्यक्ति को बहरा बना दिया है |ध्वनि प्रदूषण के कारण व्यक्ति तनाव में रहने लगा है |
प्रदूषण के दुष्प्रभाव :-
पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम स्वरुप मानवीय जीवन को खतरा पैदा हो गया है | उसे अनेक बिमारियां लग गयी हैं | वह स्वच्छ वायु में सांस् लेने को तरस गया है | सभी मौसम अव्यवस्थित हो गये हैं | जीव जंतु भी मर रहे हैं | सुखा पड़ना, बाढ़ आना, ओला वृष्टि इत्यादि होना प्रदूषण के ही परिणाम हैं |
पर्यावरण प्रदूषण से बचाव :-
प्रदूषण से बचने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए | कूड़ा करकट को नदी या तालाबों में नही डालना चाहिए | कूड़े को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए। व्यक्तिगत वाहनों का कम से कम प्रयोग करें | जितना अधिक हो सके सार्वजनिक साधनों ( बसों) का प्रयोग करें | अगर नजदीक जाना है तो साईकिल का प्रयोग करें | टेलीविजन को कम आवाज में सुनें | पालीथिन का उपयोग न करे | कारखानों की चिमनी को ऊँचा करना चाहिए | इसके साथ साथ लोगों को भी जागरूक करना चाहिए | अगर हम इन सब बातों का ध्यान रखेंगे तो प्रदूषण से बचा जा सकता है |
उपसंहार :-
निष्कर्षत : हम कह सकते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण मानव के लिए हानिकारक है | मनुष्य को जीने के लिए स्वच्छ पर्यावरण कि आवश्यकता है और वह तभी पूरी होगी जब वह इस पर्यावरण को खुद बचाएगा | इस लिए हमें कहना पड़ेगा कि -
“आओ मिलकर कसम ये खाएं
प्रदूषण न फैलाएं |”
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