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Difference between surdas and Kabir Das in Hindi Three couplets written by kabirdas and surdas

Difference between Kabir and Surdas in Hindi कबीर और सूरदास में भिन्नता परिचय :- हिंदी साहित्य में कबीर एवं सूरदास जी का आविर्भाव भक्ति काल में हुआ । डॉ नगेंद्र के अनुसार कबीर जी का जन्म 1455 विक्रम संवत अर्थात 1398 ई. में होना स्वीकार किया गया है। तथा उनका निधन 1518 ई. माना गया है। दूसरी तरफ सूरदास जी का जन्म के विषय में विद्वान मतैक्य नहीं है तथापि संवत् 1535 अर्थात सन् 1478 ई. सूर का जन्म माना जाता है। सूरदास जी श्रीनाथजी के मंदिर में भजन कीर्तन किया करते थे।     दोनों ही कवि भक्त कवि हैं। दोनों ही उस परमशक्ति परमात्मा का अस्तित्व मानते हैं । दोनों ही भक्ति के द्वारा इस संसार को पार करने की बात करते हैं तथा माया को प्रभु गुणगान में बाधा मानते हैं तथापि दोनों कवियों में भिन्नता भी है जिसका वर्णन अग्रिम पंक्तियों में किया जा रहा है। Difference between Kabir and Surdas in Hindi कबीर और सूरदास में भिन्नता         कबीर जी के प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम है 'बीजक'। सूरदास जी द्वारा लिखित ग्रंथों के विषय में विद्वान एकमत नहीं है तथापि उनकी प्रसिद्धि के आधार ग्रंथ तीन ...

पर्यावरण प्रदूषण निबंध

 

भूमिका, पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के प्रकार ,वायु प्रदूषण,   जल प्रदूषण  , ध्वनि प्रदूषण  इत्यादि ,प्रदूषण के दुष्प्रभाव, पर्यावरण प्रदूषण से बचाव,  उपसंहार

पर्यावरण प्रदूषण निबंध 

विषय:-

  • भूमिका
  • पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ
  • प्रदूषण के प्रकार
  • वायु प्रदूषण 
  •  जल प्रदूषण 
  •  ध्वनि प्रदूषण  इत्यादि |
  • प्रदूषण के दुष्प्रभाव
  • पर्यावरण प्रदूषण से बचाव 
  • उपसंहार

         पर्यावरण से संबंधित समस्या सार्वभौमिक समस्या बन गई है। इस कारण बचपन से ही विद्यार्थियों में पर्यावरण से संबंधित रुचि जागृत करने के लिए समय -  समय पर निबंध प्रतियोगिताएं करवाई जाती हैं । यह पर्यावरण प्रदूषण निबंध लगभग 2000 शब्दों में है जोकि सरल शब्दों में लिखा गया है

पर्यावरण प्रदूषण निबंध


भूमिका :- 


    विज्ञान  मनुष्य को विकास के साथ-साथ विनाश की ओर ले भी लेकर गया है। उसी विनाश के रूप में एक गंभीर समस्या उभर कर सामने आई। वह है पर्यावरण प्रदूषण । जिसे सहने के लिए सभी मजबूर हैं |


पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ :-


           पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है ‘ परि + आवरण ‘| परि का अर्थ है चारों ओर , आवरण का अर्थ है ‘ढका हुआ’ अर्थात पर्यावरण का अर्थ हुआ, ‘ चारों ओर का वातावरण’ और प्रदूषण का अर्थ है, ‘प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना | पर्यावरण में अवांछित पदार्थो का मिलना, न शुद्ध खाने को मिलना , न ही शुद्ध जल का मिलना, न ही शुद्ध हवा और न ही  शांत वातावरण का मिलना ही पर्यावरण प्रदूषण है | 


प्रदूषण के प्रकार :- 


प्रदूषण के निम्नलिखित प्रकार हैं जैसे वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण , ध्वनि प्रदूषण , इत्यादि |


वायु प्रदूषण :- 


वायु में अवांछित पदार्थों का मिलना ही वायु प्रदूषण कहलाता है | प्रदूषण के कारण वायु सांस् लेने योग्य नही रहती | कारखानों का विषैला धुआं , मोटर वाहनों का जहरीला धुआं इस तरह से फ़ैल गया है कि सांस् लेना भी मुश्किल हो गया है | बड़े शहरों में आप सफ़ेद कपडे पहन कर घर से निकलेंगे तो काली परत उन पर चढ़ी होगी | ये जहरीले कण सांस् के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं जिसके कारण उनको सांस् सम्बन्धी बहुत से भयानक रोग लग जाते हैं |  


जल प्रदूषण :- 


पानी का दूषित होना या पानी का पीने योग्य न रहना ही जल प्रदूषण है | जल प्रदूषण बहुत से कारणों से फैलता है जैसे , कारखानों का दूषित (गन्दा ) पानी नदियों में डालना , कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में डालना, भूस्खलन या बाढ़ के समय सारी गन्दगी पानी में मिल जाना | दूषित पानी पीने से हैजा , टायफाइड और मलेरिया जैसी खतरनाक बिमारियां फ़ैल जाती हैं जो की व्यक्ति के लिए हानिकारक होती हैं |

 ध्वनि प्रदूषण :-

  कानों के लिए अप्रिय ध्वनि या शोर ही ‘ध्वनि प्रदूषण’ कहलाता है | मनुष्य शांत वातावरण में रहना पसंद करता है परन्तु आजकल वाहनों का शोर ,मोटर गाड़ियों की चिल - पों, लाउड स्पीकर की कानों को फाड़ने वाली आवाज ने व्यक्ति को बहरा बना दिया है |ध्वनि प्रदूषण के कारण व्यक्ति तनाव में रहने लगा है | 

प्रदूषण के दुष्प्रभाव :- 

पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम स्वरुप मानवीय जीवन को खतरा पैदा हो गया है | उसे अनेक बिमारियां लग गयी हैं | वह स्वच्छ वायु में सांस् लेने को तरस गया है | सभी मौसम अव्यवस्थित हो गये हैं | जीव जंतु भी मर रहे हैं | सुखा पड़ना, बाढ़ आना, ओला वृष्टि इत्यादि होना प्रदूषण के ही परिणाम हैं | 

पर्यावरण प्रदूषण से बचाव :-

प्रदूषण से बचने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए | कूड़ा करकट को नदी या तालाबों में नही डालना चाहिए | कूड़े को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए। व्यक्तिगत वाहनों का कम से कम प्रयोग करें | जितना अधिक हो सके सार्वजनिक साधनों ( बसों) का प्रयोग करें | अगर नजदीक जाना है तो साईकिल का प्रयोग करें | टेलीविजन को कम आवाज में सुनें | पालीथिन का उपयोग न करे | कारखानों की चिमनी को ऊँचा करना चाहिए | इसके साथ साथ लोगों को भी जागरूक करना चाहिए | अगर हम इन सब बातों का ध्यान रखेंगे तो प्रदूषण से बचा जा सकता है | 

वायु प्रदूषण   जल प्रदूषण   ध्वनि प्रदूषण

उपसंहार :- 

 निष्कर्षत : हम कह सकते हैं कि पर्यावरण प्रदूषण मानव के लिए हानिकारक है | मनुष्य को जीने के लिए स्वच्छ पर्यावरण कि आवश्यकता है और वह तभी पूरी होगी जब वह इस पर्यावरण को खुद बचाएगा | इस लिए हमें कहना पड़ेगा कि -

आओ मिलकर कसम ये खाएं 
प्रदूषण न फैलाएं |”


            

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