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Difference between surdas and Kabir Das in Hindi Three couplets written by kabirdas and surdas

Difference between Kabir and Surdas in Hindi कबीर और सूरदास में भिन्नता परिचय :- हिंदी साहित्य में कबीर एवं सूरदास जी का आविर्भाव भक्ति काल में हुआ । डॉ नगेंद्र के अनुसार कबीर जी का जन्म 1455 विक्रम संवत अर्थात 1398 ई. में होना स्वीकार किया गया है। तथा उनका निधन 1518 ई. माना गया है। दूसरी तरफ सूरदास जी का जन्म के विषय में विद्वान मतैक्य नहीं है तथापि संवत् 1535 अर्थात सन् 1478 ई. सूर का जन्म माना जाता है। सूरदास जी श्रीनाथजी के मंदिर में भजन कीर्तन किया करते थे।     दोनों ही कवि भक्त कवि हैं। दोनों ही उस परमशक्ति परमात्मा का अस्तित्व मानते हैं । दोनों ही भक्ति के द्वारा इस संसार को पार करने की बात करते हैं तथा माया को प्रभु गुणगान में बाधा मानते हैं तथापि दोनों कवियों में भिन्नता भी है जिसका वर्णन अग्रिम पंक्तियों में किया जा रहा है। Difference between Kabir and Surdas in Hindi कबीर और सूरदास में भिन्नता         कबीर जी के प्रसिद्ध ग्रंथ का नाम है 'बीजक'। सूरदास जी द्वारा लिखित ग्रंथों के विषय में विद्वान एकमत नहीं है तथापि उनकी प्रसिद्धि के आधार ग्रंथ तीन ...

परिचय | भारत हिंदी मित्र

भारत हिंदी मित्र

परिचय: 

दोस्तो मैं एक अभिभावक भी हूं और एक अध्यापक भी । मेरे अपने बच्चे कक्षा छठी और सातवीं में पढ़ते हैं और मैं छठी से बारहवीं तक पढ़ाता हूं ।

 हिंदी विषय मेरा पसंदीदा विषय है । मुझे अभिभावकों की समस्या का पता है और अध्यापक की भी । बच्चों के स्तर पर पढ़ाना ही बाल केंद्रित शिक्षा के अंतर्गत आता है । 

अभिभावकों को यह परेशानी  रहती है कि उनका बच्चा किसी पाठ को समझ नहीं पाता । वह रटने की प्रवृत्ति की ओर अग्रसर है । ऐसी स्थितियों में विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप ही अध्यापक को शिक्षा देनी चाहिए । मेरा यही प्रयास रहेगा। 

 इसके साथ-साथ मैं कुछ शार्ट ट्रिक भी विद्यार्थियों को सिखाऊंगा , ताकि वह उन्हें हमेशा के लिए याद रख सके।

हिंदी विषय को बड़ा ही सरल  विषय समझा जाता है लेकिन अगर हम उसकी गहराई में जाएं तो उसमें गंभीरता बहुत है ।कुछ  इस विषय को बोझिल समझते हैं व्याकरण को तो बिल्कुल ही नीरस  समझा जाता है लेकिन मैं उसी नीरसता को को सरसता से सराबोर करने का प्रयास करूंगा ।

एक विषय को रुचिकर बनाने के लिए उसमें सरसता का गुण जरूर होना चाहिए और  लयात्मकता हर नीरसता को सरसता में बदल देती है तो उसे संगीतात्मकता का भी मैं प्रयोग करूंगा ताकि विद्यार्थी हर कविता हर पाठ की गंभीरता को समझ सके । 

इसके साथ साथ पाठों के प्रश्न उत्तर , लघु उत्तरात्मक और काव्य प्रसंग सभी को एक ही वीडियो में आप समझ सकते हैं इसके लिए मैं यूट्यूब का  लिंक भी आपसे share  कर रहा हूं जिसमें उपरोक्त जानकारी दी गई है ।




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